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  • पी. एस. इस पोर्टल में माओवाद के बारे में सभी संदर्भ सी पी आई (माओवादी) तथा विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 के अंतर्गत आतंकवादी संगठनों की अनुसूची में शामिल अन्यि वामपंथी उग्रवादी संगठनों के संदर्भ में हैं।

 

प्रभाग के बारे में

प्रभाग के बारे में

इस प्रभाग का सृजन वामपंथी उग्रवाद की समस्या का समग्र रूप में प्रभावी तरीके से निराकरण करने के लिए मंत्रालय में 19 अक्तूबर, 2006 को किया गया था। वामपंथी उग्रवाद प्रभाग वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में क्षमता निर्माण के उद्देश्य से सुरक्षा संबंधी योजनाएं कार्यान्वित करता है। यह प्रभाग वामपंथी उग्रवाद की स्थिति तथा प्रभावित राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रतिरोधी उपायों की निगरानी करता है। वामपंथी उग्रवाद प्रभाग वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों की विभिन्न विकास संबंधी योजनाओं के कार्यान्वयन का समन्वय करता है। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और केरल राज्यों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित माना जाता है, हालांकि अलग-अलग राज्यों में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति अलग-अलग है।

 

प्रभाग की भूमिका और कार्य

प्रभाग की भूमिका और कार्य
  • सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना, विशेष अवसंरचना योजना (SIS), विशेष केन्द्रीय सहायता (SCA) जैसी गृह मंत्रालय की योजनाओं के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए राज्यों का क्षमता निर्माण।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती।
  • अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण सिविक एक्शन प्रोग्राम/हेलिकॉप्टर आदि के लिए सशस्त्र केन्द्रीय पुलिस बलों के लिए निधियों का प्रावधान करना।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करना तथा संबंधित राज्य सरकारों को सलाह और अलर्ट जारी करना।
  • वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने की पहलों हेतु तात्कालिक प्रकृति की मदों के लिए निधियों के रूप में राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करना।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के लिए अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों की विकास संबंधी योजनाओं के कार्यान्वयन का समन्वय।

संगठनात्मक चार्ट

संगठनात्मक चार्ट
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पृष्ठभूमि

पृष्ठभूमि
  • कुछ दशकों से देश के दूर-दराज में तथा संचार के साधनों से अच्छी तरह न जुड़े कतिपय भागों में अनेक वामपंथी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। वर्ष 2004 में एक महत्वपूर्ण घटना क्रम में पीपल्स वार (पी. डब्ल्यू.), जो पहले आंध्र प्रदेश में सक्रिय था, तथा माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (एम. सी. सी. आई.), जो पहले बिहार और पड़ोसी क्षेत्रों में सक्रिय था, के विलय द्वारा सी.पी.आई. (माओवादी) पार्टी बनी। सी.पी.आई. (माओवादी) पार्टी एक प्रमुख वामपंथी उग्रवादी संगठन है जो हिंसा तथा नागरिकों और सुरक्षा बलों की हत्या की अधिकांश घटनाओं के लिए जिम्मेदार है तथा इसे इसके सभी गुटों तथा प्रमुख संगठनों सहित विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 के अंतर्गत आतंकवादी संगठनों की अनुसूची में शामिल किया गया है। सरकार को उखाड़ फेकने के लिए सशस्त्र विद्रोह का सी. पी. आई. (माओवादी) सिद्धान्त भारतीय संविधान और भारत राष्ट्र के संस्थापक सिद्धांतों में स्वीकार्य नहीं है। सरकार ने हिंसा छोड़ने तथा बातचीत के लिए आगे आने के लिए वामपंथी उग्रवादियों का किया है। इस अनुरोध को उन्होंने अस्वीकार्य कर दिया है क्योंकि वे सत्ता हथियाने के साधन के रूप में हिंसा में विश्वास करते हैं। इसके परिणाम स्वरूप भारत के अनेक भागों में हिंसा की निरंतर घटनाएं हुई हैं। आदिवासियों जैसे निर्धन और पिछड़े वर्ग इस हिंसा के शिकार हो रहे हैं। अनेक उदार बुद्धजीवी माओवादी विद्रोह के सिद्धान्त, जो हिंसा को महिमा मंडित करता है तथा सत्ता हासिल करने के लिए सैन्य सिद्धांत को अपनाने में विश्वास करता है, के सही स्वरूप को समझे बिना माओवादी प्रचार का शिकार बन जाते हैं। वर्ष 2004 से 2023 के मध्य भारत के विभिन्न भागों में वामपंथी उग्रवादियों द्वारा लगभग 8803 लोगों की हत्या की गई है। मारे गए अधिकांश नागरिक आदिवासी होते हैं जिनको बेरहमी से यातना दिए जाने और मारे जाने से पूर्व अक्सर पुलिस मुखबिरकी संज्ञा दी जाती है। वास्तव में ये आदिवासी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, जिनके हित का समर्थन करने का माओवादी दावा करते हैं, भारतराष्ट्र के विरुद्ध सी.पी.आई. (माओवादी) के कथित प्रोट्रेक्टेड पीपल्स वारके सबसे बड़े शिकार हुए हैं।

माओवादी विद्रोह का सिद्धान्त

माओवादी विद्रोह का सिद्धान्त
  • समाज के कुछ वर्गों, विशेषरूप से युवा पीढ़ी में भ्रम के कारण माओवादियों के बारे में अच्छी सोच हैजो उनकी विचारधारा की पूरी समझ न होने के कारण है। माओवादी विचारधारा की मुख्य थीम हिंसा है। माओवादी विद्रोह का सिद्धान्त हिंसा को मौजूदा सामाजिक व आर्थिक और राजनैतिक ढांचों को शिकस्त देने के मुख्य साधन के रूप में महिमा मंडित करता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पीपल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी (पी. एल. जी. ए.), जो सी.पी.आई. (माओवादी) का सशस्त्र विंग है, का गठन किया गया । विद्रोह के प्रथम स्तर पर पी. एल. जी. ए. गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेता है जिसका प्रमुख उद्देश्य मौजूदा शासन व्यवस्था के ढांचों के बुनियादी स्त‍र पर रिक्तता पैदा करना है। इस उद्देश्य को वे निम्न स्तर के सरकारी अधिकारियों, स्थानीय पुलिस थानों के पुलिस कार्मिकों, मुख्यधारा में शामिल राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं तथा पंचायतीराज प्रणाली के जनप्रतिनिधियों की हत्या करके हासिल करते हैं। राजनीति तथा शासन में रिक्तता पैदा करने के बाद वे आंदोलन में शामिल होने के लिए स्थानीय जनता पर दवाब डालते हैं। मौजूदा शासन ढांचे की वास्तविक कमियों का जोरदार प्रचार भी किया जाता है।
  • माओवादी आधिपत्य‍ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में शासन की गैर-मौजूदगी स्वत:स्पष्ट हो जाती है क्योंकि हत्याओं तथा डराने धमकाने से डिलीवरी सिस्टम ठप्प हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने के लिए माओवादियों की रणनीति का यह पहला कदम है। इसी बीच दिखावटी लोकतांत्रिक साधनों के माध्यम से अर्धशहरी तथा शहरी क्षेत्रों में लोगों को एकजुट करने के लिए अनेक प्रमुख संगठनों का गठन किया गया है। इनमें से अधिकांश संगठनों का नेतृत्व ऐसे सुप्रशिक्षित बुद्धिजीवियों द्वारा किया जाता है जिनका माओवादियों के विद्रोह के सिद्धान्तो में दृढ़ विश्वास है। इस सिद्धान्त में विश्वास रखनेवाले लोग सी. पी. आई. (माओवादी) की विचारधारा के हिंसक स्वरूप को छुपाने के लिए एक मुखौटा के रूप में कार्य करते हैं। ये इस पार्टी के प्रचार/दुष्प्रचारतंत्र का भाग होते हैं।
  • ये सुरक्षा बलों द्वारा जनजातियों के विस्थापन’ ‘कॉरपोरेट शोषण’ ‘मानवाधिकारों के उल्लंघनआदि जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाते हैं और इस संबंध में ऊटपटांग दावे करते हैं जिन्हें मुख्यधारा से जुड़े मीडिया द्वारा भी प्रचारित किया जाता है। ये प्रमुख संगठन माओवादी एजेंडा को आगे बढ़ाने तथा प्रवर्तन प्रणाली को कमजोर करने के लिए बड़ी चतुराई से शासकीय ढांचों तथा विधिक प्रक्रियाओं का भी प्रयोग करते हैं। इन संगठनों के महत्वपूर्ण कार्यों में पेशेवर क्रान्तिकारियोंकी भर्ती, विद्रोह के लिए निधियां जुटाना, भूमिगत कॉडरों के लिए शहरी क्षेत्रों में शरण स्थल बनाना, गिरफ्तार किए गए काडरों को कानूनी सहायता प्रदान करना और प्रासंगिकता/सुविधाओं से संबंधित मुद्दों पर आंदोलन करके जन-समर्थन जुटाना शामिल है। इन प्रमुख संगठनों का उद्देश्य माओवादी विचारधारा के सम्पूर्णतावादी तथा दमनकारी स्वरूप को छुपाने के लिए अल्पकालिक लोकतांत्रिक प्रणाली का बहाना करना है।सी. पी. आई. (माओवादी) की भारत में अपने जैसी विचारधारा वाले विद्रोही/आतंकवादी संगठनों को मिलाकर यूनाइटेड फ्रंटबनाने की भी एक रणनीतिक योजना है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इनमें से अनेक संगठनों को भारत-विरोधी विदेशी ताकतों द्वारा सहायता की जाती है और सी.पी.आई. (माओवादी) इस प्रकार के गठबंधन को रणनीतिक परिसंपत्तियां मानतेहैं।
  • संक्षेप में सी.पी.आई. (माओवादी), जो भारत में एक प्रमुख वामपंथी उग्रवादी संगठन है, का उद्देश्य अपने प्रमुख साधन के रूप में हिंसा तथा सहायक साधनों के रूप में प्रमुख संगठनों और स्ट्रेटेजिक यूनाइटेड फ्रंट्स के द्वारा विद्यमान लोकतांत्रिक ढांचे को उखाड़ फेंकना तथा कथित न्यू डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनमें अपने आपको स्थापित करने की योजना तैयार करना है।

     

भारत सरकार का दृष्टिकोण

भारत सरकार का दृष्टिकोण
  • भारत सरकार का दृष्टिकोण, सुरक्षा, विकास, स्‍थानीय समुदायों के अधिकारों और हकदारियों को सुनिश्चित करने, शासनप्रणाली में सुधार तथा जन अवबोधन प्रबंधन के क्षेत्रों में समग्र तरीके सेवामपंथी उग्रवाद से निपटना है। इस दशकों पुरानी समस्‍या से निपटने के लिए, संबंधित राज्‍य सरकारों के साथ विभिन्‍न उच्‍च स्‍तरीय विचार-विमर्शों और बातचीतों के बाद यह उपयुक्‍त समझा गया है कि तुलनात्‍मक रूप से अधिक प्रभावी क्षेत्रों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के परिणाम मिलेंगे। गृह मंत्रालय स्थिति और वामपंथी उग्रवाद परिदृश्य की बारीकी से निगरानी कर रहा है और नवीनतम समीक्षा के आधार पर योजना, कार्यान्वयन और विभिन्न हस्तक्षेपों की निगरानी के संबंध में विशेष ध्यान देने के लिए 9 राज्यों के 38 जिलों को वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। चूंकि पुलिसऔर लोक व्‍यवस्‍थाराज्‍य के विषय हैं, इसलिए कानून एवं व्‍यवस्‍था बनाए रखने की कार्रवाई मुख्‍यत: राज्‍य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है। केन्‍द्र सरकार स्थिति की गहन रूप से निगरानी करती है तथा अनेक तरीकों से उनके प्रयासों में सहायता और समन्‍वय करती है। इनमें केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल प्रदान करना; इंडिया रिजर्व बटालियनों की स्‍वीकृति, विद्रोह प्रतिरोधी तथा आतंकवाद रोधी विद्यालयों की स्‍थापना; राज्‍य पुलिस तथा उनके आसूचना तंत्र का आधुनिकीकरण और उन्‍नयन; सुरक्षा संबंधी व्‍यय योजना के अंतर्गत सुरक्षा संबंधी व्‍यय की प्रतिपूर्ति; नक्‍सलरोधी अभियानों के लिए हेलीकॉप्‍टर मुहैया कराना; रक्षा मंत्रालय, केन्‍द्रीय पुलिस संगठनों और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्‍यूरो के माध्‍यम से राज्‍य पुलिस के प्रशिक्षण में सहायता करना; आसूचना का आदान-प्रदान; अन्‍तर-राज्‍य समन्‍वय को सुगम बनाना; सामुदायिक पुलिस व्‍यवस्‍था तथा सिविक एक्‍शन कार्यक्रमों में सहायता करना आदि शामिल हैं। इसके पीछे सोच माओवादी खतरे से एक ठोस तरीके से निपटने के लिए राज्‍य सरकारों की क्षमता में वृद्धि करने की है।

मॉनीटरिंग तंत्र

मॉनीटरिंग तंत्र
  • केन्‍द्रीय गृह मंत्री, गृहसचिव और अपर सचिव नियमित आधार पर वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की समीक्षा करता है। विभिन्‍न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा हेतु गृह मंत्रालय द्वारा संबंधित केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा राज्‍य सरकारों के साथ बैठक और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से नियमित मॉनीटरिंग की जाती है।

हाल में की गई समीक्षाएं

हाल में की गई समीक्षाएं
  • केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्य मंत्रियों तथा सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रियों के साथ 09 फरवरी, 2015, 08 मई, 2017,  26 अगस्त, 2019,  26 सितम्बर, 2021 और 06 अक्टूबर, 2023 को समीक्षा बैठक की गई।
  • केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का दौरा कर वामपंथी उग्रवाद परिदृश्य की समीक्षा की गई।
  • गृह राज्य मंत्री ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का दौरा किया तथा वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की समीक्षा की।
  • मंत्रिमंडल सचिव द्वारा 15/12/2016, 03/08/2017 और 23/7/2018 को समीक्षा समूह की बैठक आयोजित की गई।
  • केन्द्रीय गृह सचिव द्वारा केन्द्रीय मंत्रालयों के सचिवों तथा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशकों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
  • केन्द्रीय गृह सचिव ने भी वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की समीक्षा करने के लिए वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का दौरा किया।

     

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के लिए महत्वपूर्ण पहलें

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के लिए महत्वपूर्ण पहलें
  • वामपंथी उग्रवाद की समस्या का प्रभावी तरीके से समग्र रूप से निराकरण करने के लिए सरकार ने सुरक्षा, विकास, स्थानीय समुदायों के अधिकार और हकदारियां सुनिश्चित करने के क्षेत्रों में बहु-आयामी रणनीति अपनाते हुए राष्ट्रीयनीति और कार्य योजना तैयार की है।
  • सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) की योजना:  पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की अम्‍ब्रेला स्‍कीम की उप-योजना के रूप में इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। सुरक्षा संबंधित व्यय (एसआरई) योजना के तहत, केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों और निगरानी के लिए निर्धारित जिलों के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय की प्रतिपूर्ति करती है। इस योजना के द्वारा सुरक्षा संबंधी व्‍यय, वामपंथी उग्रवादी हिंसा में मारे गए नागरिकों/सुरक्षा बल कार्मिकों के परिवारों को अनुग्रह राशि के भुगतान, पुनर्वास नीति के अनुसार समर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादी कॉडरों को मुआवजे, सामुदायिक पुलिस व्‍यवस्‍था, ग्राम रक्षा समितियों के लिए सुरक्षा संबंधी अवसंरचना तथा प्रचार  सामग्रियों पर होने वाली व्‍यय की प्रतिपूर्ति की जाती है।  वार्षिक परिव्‍यय में काफी वृद्धि की गई है और वामपंथी उग्रवाद रोधी अभियानों के दौरान बल के अशक्‍त सुरक्षा कार्मिकों के लिए मुआवजे तथा संपत्ति की क्षति के लिए मुआवजे जैसी नई मदों को इस योजना में शामिल किया गया है। सुरक्षा संबंधी व्‍यय की योजना का उद्देश्‍य वामपंथी उग्रवाद की समस्‍या से निपटने में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्‍यों की क्षमता में वृद्धि करना है। इस योजना के तहत 2017-18 से अब तक 2348.81  करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों के लिए विशेष केन्‍द्रीय सहायता (SCA): 2017 में अनुमोदित इस योजना का पुलिस बलों के आधुनिकीकरणकी अम्‍ब्रेला स्‍कीम की उप-योजना के रूप में क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य अत्यधित वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में तात्‍कालिक प्रकृतिक की सार्वजनिक सुविधाओं और सेवाओं में क्रिटीकल गैप्स को दूर करना है। 2017-18 से अब तक राज्यों को 3559.98 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
  • विशेष अवसंरचना योजना (SIS): वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्‍यों की नियमित मांग पर सरकार द्वारा पुलिस बलों के आधुनिकीकरणकी अम्‍ब्रेला स्‍कीम की उप-योजना के रूप में इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। योजना के तहत सुरक्षा से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के तहत 1741 करोड़ रुपये की परियोजनाओं/कार्यों को मंजूरी दी गई है।  इन स्वीकृत कार्यों में 306  फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन शामिल हैं, जिनमें से 210 का निर्माण किया जा चुका है।

  • फोर्टीफाइड पुलिस थानों की योजना: इस योजना के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 10 राज्यों में 400 फोर्टीफाइड पुलिस थानों का निर्माण किया गया है।

    वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में कुल मिलाकर 610 फोर्टिफाइड पुलिस थानों का निर्माण किया गया है।

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    वामपंथी उग्रवाद से निपटने की योजना के लिए केन्द्रीय एजेंसियों को सहायता: इस योजना का पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की अम्‍ब्रेला स्‍कीम की उप-योजना के रूप में क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण और हेलीकॉप्‍टर्स (केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों/भारतीय वायु सेना आदि) किराए पर लेने के लिए केन्‍द्रीय एजेंसियों को सहायता प्रदान की जाती है।

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    सिविक ऐक्शन प्रोग्राम:  वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम वैयक्तिक संपर्क के माध्यम से सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच दूरी को कम करने और स्थानीय लोगों के समक्ष सुरक्षा बलों का मानवीय चेहरा प्रदर्शित करने के लिए पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की अम्‍ब्रेला योजना की उप-योजना के रूपमें इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है । यह योजना अपने लक्ष्‍य हासिल करने में बहुत सफल रही है। इस योजना के अंतर्गत स्थानीय लोगों के कल्याणहेतु विभिन्न नागरिक गतिविधियां चलाने के लिए वामपंथी उग्रवाद से प्रभावितक्षेत्रों में तैनात केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को निधियां जारी की जाती हैं। 2017-18 से केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को 123.21 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

    मीडिया प्लान:  यह योजना पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की अम्ब्रेला स्कीम की उप-योजना के रूपमेंक्रियाविन्त की जा रही है। माओवादी मामूली प्रोत्‍साहनों के माध्‍यम से अपनी कथित गरीब हितैषी क्रांति के द्वारा अथवा अपनी बल प्रयोग की रणनीति को अपना कर वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में निर्दोष आदिवासियों/स्‍थानीय लोगों को गुमराह करते रहे हैं तथा उन्‍हें लुभाते रहे हैं। वे सुरक्षा बलों तथा लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था के बारे में दुष्‍प्रचार करते हैं। अत: सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में इस योजना को लागू कर रही है। इस योजना के अंतर्गत एन.वाई.के.एस. द्वारा ट्राइबल यूथ एक्‍सचेंज कार्यक्रम, रेडियो जिंगल्‍स, डॉक्‍यूमेंट्रीज, पेम्‍फ्लेट्स आदि जैसी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। 2017-18 से इस योजना के तहत 52.52  करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

    वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क आवश्यनकता योजना- (आर.आर.पी.-।):  यह योजना 8 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार करने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में 5361 किमी. लंबी सड़कों के निर्माण की परिकल्पना की गई थी जिसमें से 5168  किमी. लंबी सड़कों का निर्माण कर लिया गया है।

    वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आर.सी.पी.एल.डब्लू.ई.):  सरकार ने यह योजना वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के सड़क संपर्क में ओर सुधार करने के लिए 11,725 करोड़ रु. के अनुमानित व्यय से 28.12.2016 को मंजूरी दी। इस योजना के तहत 12,228 किलोमीटर सड़क और 705  पुल सम्बंधी कार्य स्वीकृत हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय है। योजना के तहत शामिल सड़कों की पहचान गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों के परामर्श से की है। अब तक इस योजना के तहत 9266 किलोमीटर सड़क तथा 428 पुल सम्बंधी कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

    दूरसंचार कनेक्टिविटी: दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 03 दूरसंचार परियोजनाएं, अर्थात्, मोबाइल कनेक्टिविटी परियोजना चरण- I और चरण- II, आकांक्षी जिलों के कवर न किए गए गांवों में 4G मोबाइल सेवाओं का प्रावधान और 4G मोबाइल सेवाओं की संतृप्ति, लागू की जा रही हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में कुल 10,475 मोबाइल टावरों की स्थापना की योजना है जिनमें से अब तक 5373 मोबाइल टावर चालू किए जा चुके हैं।

    Aspirational District: गृह मंत्रालय को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 35 जिलों में Aspirational District programme की मॉनीटरिंग का काम सौंपा गया है।

     

निष्कर्ष

निष्कर्ष
  • भारत सरकार का यह मानना है कि विकास और सुरक्षा संबंधी पहलों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण से वामपंथी उग्रवाद की समस्या से सफलता पूर्वक निपटा जा सकता है। तथापि यह स्पष्ट है कि वामपंथी उग्रवादी कम विकास जैसे मुख्य कारणों का सार्थक तरीके से निराकरण करना नहीं चाहते हैं क्योंकि वे विद्यालय भवनों, सड़कों, रेल मार्गों, पुलों, स्वास्थ अवसंरचना, संचार सुविधाओं आदि को व्यापक रूप से लक्ष्य बनाने का सहारा लेते हैं। ये अपनी पुरानी विचारधारा को कायम रखने के लिए अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में लोगों को हासिये पर रखना चाहते हैं। इसके परिणामस्वारूप वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव ने देश के अनेक भागों में विकास की प्रक्रिया को दशकों पीछे धकेल दिया है। इसे सिविल समाज तथा मीडिया द्वारा समझे जाने की आवश्यकता है, ताकि वामपंथी उग्रवादियों पर हिंसा छोड़ने, मुख्य धारा में शामिल होने तथा इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए दवाब बनाया जा सके कि 21वीं सदी के भारत की सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक सोच और आकांक्षाएं माओवादी दृष्टिकोण से पूरी नहीं हो सकतीं। इसके अतिरिक्त हिंसा और विनाश पर आधारित कोई विचार धारा ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सफल नहीं हो सकती जिसमें शिकायतों के निराकरण के वैध मंचों की व्यवस्था है।

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